आयुष मंत्रालय ,नयी दिल्ली
विषय : रोजगार एवं मानक के सम्बन्ध में
माननीय महोदय /महोदया
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के द्वारा एन. पी. सी. डी. सी एस. कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2015 से अब तक लगभग 71 योग प्रशिक्षक अपनी सेवाएं छह राज्यों में अपने घरों से सैकड़ों मील दूर जाकर दे रहे हैं। परंतु दुर्भाग्य वश अब उनकी सेवाएं 31 जुलाई,2020 को समाप्त की जा रही हैं। केवल राजस्थान, बिहार व गुजरात में 43 योग प्रशिक्षक कार्यरत हैं। इनमें लगभग सभी योग में स्नातकोत्तर हैं और कुछ तो एम. फिल. पीएच डी. डिग्री धारक हैं। कईयों की शादियां हो चुकी हैं व बच्चे भी हैं।अगर ऐसे समय में जब कोरॉना बीमारी से देश त्रसित है व रोज़गार के अवसर क्षीण से हो चुके हैं तो यह योग परंपरा की ध्वज धारक कहां जाएंगे व अपनी तथा अपने परिवार की रोजी रोटी कहां से जुटाएंगे।
एक तरफ तो विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर भारत सरकार इस बीमारी से निबटने के लिए योग के अभ्यास और यौगिक दिनचर्या पर लोगों को सुझाव दे रहें हैं और दूसरे जो इस कार्य में लगे हैं और लोगों को जागरुक कर रहे हैं उनको हटाया जा रहा है जो ना तर्क संगत है ना न्याय संगत।
अतः मेरी भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के माननीय मंत्री महोदय श्री श्रीपद नायक जी से अनुरोध है कि सरकार के इस निर्णय पर पुनर्विचार कर इन योग प्रशिक्षकों के भविष्य को अंधकारमय होने से बचाएं।
मेरी सभी बड़े2 योग गुरुओं से भी प्रार्थना है कि वह भी इन नौजवानों के पक्ष में सरकार से बात करें।
मेरा यह भी सुझाव है कि इन प्रशिक्षकों का प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अन्तर्गत सेवा विस्तार देना संभव है। इस पर भी माननीय मंत्री महोदय व हमरे सबके प्रेरणास्त्रोत सम्माननीय प्रधानमंत्री महोदय जी विचार कर सकते हैं व इन शिक्षकों की नियुक्ति उनके घरों के पास दी जा सकती है ताकि इस वीभत्स परिस्थिति में वे मनोशारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए योगाभ्यास के तरीके बता सकें।अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मात्र एक सूचक नहीं बल्कि सूचना के कार्यान्वयन के लिए होना चाहिए। पेट दिवस मनाने से नहीं भरता है अपितु दिन में रोज़गार होने से भरता है।
मेरी यह भी प्रार्थना है की योग शिक्षा पूरे भारतवर्ष में प्राइमरी स्कूलों में अनिवार्य होनी चाहिए ताकि विश्वविद्यालयों से पढ़े छात्रों को रोज़गार उपलब्ध हो सके।
मेरा एक जिज्ञासा यह भी है कि जब उर्दू और फारसी भाषाएं प्राइमरी स्तर पर अनिवार्य हैं तो योग से परहेज़ क्यों ? हालांकि मैं किसी भी भाषा अध्ययन के विरूद्ध नहीं हूं, बहुत अच्छा है पर मेरी चिंता व संवेदना मेरे नौजवान योग शिक्षितों से है चाहे वह देश के किसी भी विश्व विद्यालय से पढ़े हों।
मेरी बस यही करबद्ध प्रार्थना है कि इन युवाओं का रोज़गार न छीना जाए ताकि हमारी योग परंपरा निरंतर आगे बढ़ती रहे तथा मेरे देश की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा बनी रहे।
और हमारी योग शिक्षकों की कुछ मांगे है उसपर तत्काल विचार किया जय
१ योग की एक REGULATORY BODY का गठन हो
२ केंद्रीय विद्यालय में योग शिक्षक की Permanent नियुक्ति हो /उनके कार्यकाल को एक सत्र से बढ़ाकर कम से कम 5 सत्र या अधिक किया जाए!
३ आयुष मंत्रालय में योग्यता के आधार पर पदों का गठन हो
४ रोजगार की सुनिश्चित व्यवस्था हो
५ YOGA CERTIFICATE BOARD की प्रकृया में सुधार हो
६ योग RESEARCH को बढ़ावा दिया जाय
७ योग दिवस के नाम पर योग शिक्षक के फण्ड की पारदर्शिता के साथ वितरण
८ योग शिक्षा को स्कूल और collage में अनिवार्य किया जाय
९ योग पाठ्यक्रम का मानक तय हो
१० योग सर्टिफिकेट कोर्स कराने बाली सभी संस्थाओं के मनका तय हो
११ योग शिक्षक पंजीकरण नीति बनाई जाए जिसके माध्यम से यूजीसी मान्यताप्राप्त सभी योग शिक्षकों को पंजीकृत किया जाए।
१२ नयी शिक्षा नीति 2020 में योग को ‘शारीरिक शिक्षा ‘के उप विषय के स्थान पर ‘योग ‘को संस्थागत विषय के रूप में रखने की माँग।
कई बिंदुयो पर योग में एक क्रन्तिकारी कदम होगी ,सभी योग प्रेमियो की हितो की रक्षा होगी।
इस संदर्भ में आप सभी योग संगठन का मार्गदर्शन मिल रहा है और सभी संगठन के पदाधिकारियों के साथ एक Panel की गठन की गई है जो आयुष मंत्रालय को ज्ञापन देगी और कार्य बिस्तार पर मंत्रालय के साथ जुड़ी रहेगी।
योग हित को लेकर संगठन सक्रिय है और अपने पटल से बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे है। इसी सन्दर्भ में
योग शिक्षक संघ और अन्य सैकड़ो योग संगठन ने एकजुटता का परिचय देते हुए योग क्रन्ति अभियान की शुरूयात हो रही है जो 9 August 2020 से अनवरत लक्ष्य प्राप्ति तक यह क्रान्ति जारी रहेगी ।
नवीन कुमार
अध्यक्ष
योग शिक्षक संघ